Tuesday, February 22, 2011

हिंदी को और तवज्जो देने को चिदंबरम व सिब्बल से गुहार


राष्ट्रभाषा हिंदी व मातृभाषा को और तवज्जो दिए जाने की कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं। लिहाजा शिक्षाविदों, कवियों व लेखकों ने सरकार से उसे और समृद्ध बनाने की गुहार की है। इसके लिए गृहमंत्री पी. चिदंबरम व कपिल सिब्बल को ज्ञापन भी दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर गृह मंत्री व मानव संसाधन विकास मंत्री को भेजे ज्ञापन में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों में होने वाले शोधों का कम से कम एक लेख मातृभाषा वाली पत्रिकाओं में प्रकाशित कराने की अनिवार्यता होनी चाहिए। साथ ही यूजीसी से संबद्ध विश्वविद्यालयों व अन्य विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर व सहायक प्रोफेसर स्तर के सभी शिक्षकों के मुख्य शोध के कम से कम दस प्रतिशत हिस्से को किसी जर्नल्स में लेख या अन्य किसी रूप में हिंदी या फिर किसी राज्य के सरकारी कामकाज की भाषा में प्रकाशित करने को अनिवार्य बनाने की भी मांग की गई है। सरकार को ज्ञापन भेजने वालों में उमेश कुमार सिंह चौहान, प्रो. ओमचेरि एनएन पिल्लै, प्रो. के. सच्चिदानंदन, डा. अनामिका, इग्नू के डा. एमसी नायर समेत कई दूसरे शिक्षाविद् व लेखक शामिल हैं।

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