Saturday, April 16, 2011

दुनिया की जबानों की मां है अफ्रीकी भाषा


अंग्रेजी, हिंदी, जापानी हो या फिर बंगाली, दुनिया की हर भाषा हजारों साल पहले अफ्रीका की एक मां की जुबान से निकली बोली से विकसित हुई हैं। वैज्ञानिकों ने 500 से अधिक भाषाओं का विश्लेषण किया और पाया कि हर भाषा की जड़ अफ्रीकी महाद्धीप में पाषाण युग की उस बोली में है जो काफी पहले भुलाई जा चुकी है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार शोध में न केवल भाषा की उत्पत्ति का स्रोत अफ्रीका में पाया गया बल्कि वह पहले के अनुमान से बहुत पहले कम से कम 100000 साल पहले विकसित हुई। अब इस बात के ठोस सबूत हैं कि अफ्रीका में सबसे पहले आधुनिक मानव का विकास 200000 से 150000 साल पहले हुआ और करीब 70000 साल पहले मानव ने अफ्रीका से बाहर निकलना शुरू किया और फिर वह पूरी दुनिया में फैल गए। कुछ लोग मानते हैं कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भाषा का विकास स्वतंत्र ढंग से हुआ लेकिन अन्य उसकी जड़ केवल एक अफ्रीकी मां की बोली में मानते हैं। अब क्वीन्सलैंड विश्वविद्यालय के डॉ. क्वेन्टीन एटकिन्सन की अगुवाई में एक दल ने दुनियाभर की करीब 504 भाषाओं का विश्लेषण किया और उन्हें एक नक्शे में उतारा है। हर भाषा की ध्वनि अलग-अलग है। मसलन अंग्रेजी की करीब 45 ध्वनियां है जबकि दक्षिण अमेरिका की भाषा की ध्वनियों की संख्या 15 से भी कम है। दक्षिण अफ्रीका की एक प्रजाति 200 तरह की ध्वनियां निकालती है। डॉ. एटकिन्सन ने पाया कि उपसहारा क्षेत्र के जितना करीब पहंुचते जाओ ध्वनियों की संख्या में इजाफा होता जाता है। उनकी दलील है कि यह अंतर 70000 साल पहले अफ्रीका छोड़ने के बाद हमारे पूर्वजों के फैलने के तरीके को दर्शाता है। पत्रिका साइंस में छपी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी भाषा बदलती है। बड़ी आबादी में यह स्थिर रहती है क्योंकि उसमें पहली पीढ़ी की भाषा को याद रखने वाले अधिक लोग होते हैं|