Friday, December 24, 2010

हिंदी शब्दों का खूबसूरत लोकतंत्र

लोकतंत्र और लोक तथा जनतंत्र और जन के बहाने हम स्वातंत्र्योत्तर भारतीय जनता और उसकी आकांक्षाओं को मूर्त्त करने वाली भावनाओं से जुड़ना चाहते हैं जिसके लिए लोक और जन एवं जनादेश आदि बीज शब्द हैं। लोक देश के सांस्कृतिक और जातीय जीवन की आंतरिकता को समेटे भारतीय पहचान को परिभाषित करने वाला शब्द है। लोक की संकल्पना में सामूहिक सर्जनात्मकता निहित होती है। इसकी तुलना में जन व्यक्तिबोधक यानी थोड़ा-बहुत इंडिबिजुअलिस्टिक सेंस रखता है। लोक की अर्थ-व्याप्ति में जन और जन-परिवेश, वहां की प्रकृति, रीति-नीति, पर्व-त्योहार, मान्यताएं और विश्वास-सभी शामिल हैं। लोक का अर्थ जन से अधिक समावेशी है। यह बात लोकगीत, लोककला, लोकनृत्य, लोक परंपरा, लोककथा जैसे शब्दों से विशेषकर जाहिर होता है। जनऔर लोकइन शब्दों में से दूसरे के अंदर अर्थ का घनत्व ज्यादा है। लोकतंत्र को स्वीकार करने के पीछे यह धारणा काम करती है कि व्यक्ति की मनोरचना उसके विवेक और विचार के निर्माण में जटिल रूप से लोक की भूमिका होती है। आज के विश्व में लोकतांत्रिकता मानवीय मूल्य का द्योतक है। जो इन मूल्यों की अवहेलना करता है उसकी लोक प्रतिष्ठा की हानि होती है। अंग्रेजी शब्दों मैनडेट और वर्डिक्ट के लिए जनमत और लोकमत में से दोनों का प्रयोग किया जा सकता है। लोकमत अधिक भावपूर्ण है, जनमत में भावना का घनत्व कम है। जनमत तो विचार का नाम है। अंग्रेजी के एक और शब्द रेफरेंडम को जनमत संग्रह कहते हैं। जेनरल सेंटिमेंट को जनभावना कहते हैं। टेलिविजन और रेडियो जैसे साधनों को जन संचार के साधन कहते हैं। यह जन संचार मास कम्युनिकेशन का हिन्दी अनुवाद है। लोकसभा या विधानसभा के लिए होने वाले आम चुनाव (जेनरल एलेक्शन) में किसी राजनीतिक दल को प्राप्त जन- समर्थन (पब्लिक सपोर्ट) ही जनमत है। जनमत किसी दल के पक्ष में हो तो वह सत्तासीन हो जाता है और उसके पक्ष में न हो तो सत्ताच्युत हो जाता है। जनगीत, जनवादी आंदोलन, जन जागरण जैसे शब्द अत्यंत भावपूर्ण हैं और उनके अर्थ निश्चित हो चुके हैं। प्रयोग का धरातल भी शब्दार्थ को पुष्ट कर देता है। लोक परलोक, मृत्युलोक, स्वर्गलोक, इंद्रलोक, शिवलोक, विष्णुलोक, भावलोक जैसे शब्दों से जाहिर है कि भावात्मक प्रगाढ़ता लोक में उत्कर्ष पर है। संस्कृत की क्रिया-धातु लुच से लोक निष्पन्न हुआ है। मजेदार है कि इसी लुच से अंग्रेजी क्रिया लुकभी निकली हुई प्रतीत होती है। उसका लुक अच्छा है अर्थात वह जैसा दिखता है वह सम्मोहक है। लुक का यह अर्थ आलोक के निकट है। आज भी लुचपुचाती नजरेंहिंदी का मुहावरा है। जंगल और वृक्ष-लताओं को भेदकर सूर्य की प्रात: कालीन किरणों नदी की बहती जलधारा पर पड़ती थीं। ये किरणों परावर्तित होकर किनारे की बस्तियों पर पड़ती थीं। और वे आलोक में नहा जाती थीं। ये बातें आलोक और बस्तियों के जीवन को लोक कहने के अर्थ और औचित्य को स्पष्ट करने के लिए काफी हैं। लोक-जीवन इसी कारण एक अभिव्यक्ति है।
(लेखांश राजभाषा भारतीसे साभार)

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